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शादी की नीव… तलाक है???

अक्टूबर 12, 2008

शराब और सिगरेट सबसे बुरी चीज़ है…. उसे छोड़ दो…

ठीक है, छोड़ दिया… लेकिन अब क्या??? क्या इससे तुम्हारी परेशानी खत्म हो जाएगी??? मुझे नहीं लगता, क्योंकि परेशानी की जड़ वो है ही नहीं…

ये क्यों ज़रूरी है कि आपको दूसरे के हिसाब से जीना पड़े??? अगर दोनों में से किसी को कोई परेशानी हुई, तो वो दूसरे को बताए या नही?? ये एक बड़ा सवाल है। सामने वाले के हिसाब से, आपकी परेशानी बहुत छोटी साबित हो सकती है। और आखिरकार, आप किसी और, यानी किसी तीसरी ही परेशानी से ग्रसित हो सकते हैं।

मसलन, आप बात करने पहुंचे, कि मुझे लगता है कि तुम कुछ ज्यादा की व्यस्त हो। शायद काम में, शायद अकेलेपन में, शायद कहीं और। लेकिन आपको अगर ये समझा दिया जाए कि तुम सेक्सुअल रूप से खुश नहीं हो, इसलिए तुम ऐसी बात कर रहे हो, तो आप क्या सोचेंगे??? मेरे दिमाग में जो पहली बात आई, वो ये थी की, अब चुप हो जाओ। सामने वाला तो किसी और ही धुरी पर है। On a diffrent tangent… As they say.

मतलब, हद है यार, आपने कुछ सोचा, और हुआ कुछ और ही। आप बात करने गए थे कि भई, कुछ परेशानी है। आपको आजकल ये समझ में नहीं आता कि हम क्या कह रहे हैं। शायद आपमें और हममें कुछ कनेक्शन की दिक्कत है। हम और आप आजकल कनेक्टेड नहीं हैं। और ये समझने की बजाय, कि ऐसा क्यों है, आप, सीधे शुरू हो जाएं।

तुम्हें परेशानी क्या है???

तुम मुझसे खुश नहीं हो

तुम नहीं चाहते कि मैं तुम्हारे साथ रहूं..

मैं तुम्हारे हिसाब से सेक्स नहीं करती,

मैं तुम्हें खुश नहीं रखती

मुझे तलाक दे दो…

तलाक… तलाक??? कुछ औऱ नहीं सूझा तो तलाक कह दिया..क्या होता है तलाक?? बताइये… होता क्या है तलाक?? दूर दूर तक इसका मतलब पता है आपको?? क्या आप जानती हैं कि तलाक देना जितना आसान है, उसे निभाना उतना ही मुश्किल। क्या आपने अपने बगल वाले फ्लैट में रहने वाली, अनुराधा को नहीं देखा है?? महज़, 9 महीने शादी शुदा जीवन बिताने के बाद से, पिछले 18 साल से वो अपने मां बाप के साथ रह रही है। एक बच्चे के साथ। जिसके पास बाप नहीं है।

कह दिया तलाक….दे दो.. इतना ही आसान है तलाक देना, तो दे दो… अपने हिसाब से जीते हैं…. और इसलिए ही तो हमने अपने मां-बाप को मौका दिए बिना, एक दूसरे के साथ प्यार में पड़ कर, शादी का फैसला किया था। कि 2 साल बाद ही, हमें तलाक की धमकी मिले।

शर्म से सिर झुक गया मेरा…. इतना ही भरोसा जीत पाया हूं मैं तुम्हारा… सिर्फ सेक्स ही मेरा जीवन है।

इसलिए ही, पिछले एक साल से ज्यादा समय से मैं अकेला रह रहा हूं… और तुम भी, सिर्फ इसलिए ही इतनी कोशिश कर रही हो… कि आखिर में हम अलग हो जाएं… ठीक है। अगर तुम्हें लगता है कि अलग होना ही इलाज है, तो ठीक है… हो जाओ अलग।

और मैं ही बेवकूफ हूं… कि तुम्हें इतनी अच्छी तनख्वाह वाली और साथ ही आराम की ज़िंदगी वाली नौकरी छोड़ने को मना कर रहा हूं… इसलिए ही ना, कि जब हम एक दूसरे को तलाक दे दें, तो तुम परेशानी में न पड़ो। एक लड़के लिए, तलाकशुदा ज़िंदगी जीना आसान होता ही, लड़की के लिए नहीं। पर मैं तुमसे प्यार करता हूं। इसलिए चाहता हूं की, अगर हम अलग हों भी, तो भी तुम्हें परेशानी न हो। एक अकेली लड़की के लिए फाइनेंशियल इंडिपेंडेंस सबसे ज़रूरी है… जो तुम्हें… ऐसी ही एक अच्छी नौकरी कर के मिलेगी।

मुझ से अलग होना ही अगल परेशानी का हल है… तो यही सही।

लेकिन क्या तुमने समझने की कोशिश की है, कि परेशानी क्या है??? परेशानी सिर्फ इतनी है कि अब तुम, ये समझ नहीं पा रही हो, कि मैं क्या कहता हूं। मतलब ये है कि पहले जो भी मैं कहता था, उसके निहितार्थ तुम समझती थी। तुम ये समझ लेती थी, कि मैं क्या कहना चाहता हूं, और मैं साफ साफ नहीं भी कह रहा हूं, तो भी तुम मुझे समझती थी। अब शायद तुम बिज़ी हो। और इसमें कुछ ग़लत नहीं है। पर अगर ऐसा है, तो वो है। उसके लिए हम दोनों को ही कोशिश करनी होगी। कि ये परेशानी ऐसी न रहे।

पर अगर, हम इसे सुलझाना ना चाहें। ये मान लें कि जीवन में कुछ बदलाव नहीं हो सकता, और अब जो ये स्थिती आ गई है, उसके लिए हमें अलग हो जाना चाहिए… तो यही सही।

दिल टूट गया है मेरा। अब मैं समझ नहीं पा रहा हूं, कि मैं क्या करूं?? शायद जो तुम कहो, वो सब कर देना चाहिए। अपनी कोई लाइफ न हो। जो तुम कह दो, वो कर दिया जाए। तो शायद तुम्हें ऐसा लगे, कि मैं तुमसे अलग नहीं होना चाहता।

क्योंकि….. मैं तुमसे अलग नहीं होना चाहता। पता नहीं मैं कैसे तुम्हें, यकीन दिला पाउंगा….

पर मैं तुमसे प्यार करता हूं….

शिकायतें तो भगवान राम को भी, सीता मां से थीं…. फिर मैं तो इंसान हूं…..

सौमित्र

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